23 मार्च 1931 भारत के इतिहास का एक काला दिन जिस दिन भारत के 3 शूरवीर को फांसी दे दी गई थी वह शूरवीर भारत भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव थे।
आज के दिन को शहीद दिवस के नाम से भी मनाया जाता है। जिस समय फांसी दी गई थी उसे समय भगत सिंह की उम्र मात्र 23 साल सुखदेव की उम्र 23 साल और राजगुरु की उम्र 22 साल थी।
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इन तीनों को असेंबली में बम फेंकने के कारण सजा सुनाई गई थी फांसी की जिस दिन फांसी की सजा थी अंग्रेजों को यह पहले से ही पता था कि भारतीय आक्रोश में होंगे इसलिए सजा से एक दिन पहले ही चुपचाप फांसी दे दी गई थी।
क्यू दी गई थी भगत सिंह को फांसी
शाहिद दिवस साल क्यों दो बार मनाया जाता है -:
शहीद दिवस साल में दो बार मनाया जाता है एक 30 जनवरी को दूसरा 23 मार्च को 30 जनवरी को इसलिए मनाया जाता है कि भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी को उसे दिन नाथूराम गोडसे के द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और 23 मार्च को इसलिए कि भारत के तीन शूरवीरों को 23 साल के उम्र में फांसी दे दी गई थी।
जब इन तीनों को फांसी दी गई तो जेल में "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है" ,"इंकलाब जिंदाबाद" और "हिंदुस्तान आजाद हो" के नारे गुजरने लगे।
और इस घटना के ठीक 16 साल बाद यानी सन 1947 15 अगस्त को अंग्रेजों को देश छोड़कर जाना पड़ा और भारत देश आजाद हुआ।